हां वही.... वही आवाज़ !! लगा कहीं बांसुरी बज उठी हो मनमोहक सी। वह भी जल्दी में था। अम्मी बीमार थी और रात को भर्ती कराना पड़ा था।
"आप.....!!!! यहां...???" , फिर सुमधुर धुन छिड़ी हो जैसे।
"अम्मी बीमार हैं, एडमिट है यहां।"
वह उससे वार्ड पूछकर पहुंच गई थी। अम्मी का चैक अप कर प्रिस्क्रिप्शन लिख रही थी। वही एक लट बार बार गालों को छूती। उसे परेशान कर रही थी। बार बार दूसरे हाथ से हटा रही थी वह।
"अब अम्मी ठीक हैं, चिंता की कोई बात नहीं।" पांच दिन बाद डिस्चार्ज लिखते उसने फिर कहा।
दानिश का चैन जैसे फिर गुम हो जाने वाला था। ये पांच दिन फिर उसकी जिन्दगी में सुनहरे वक्त को लौटा लाए थे।
"लौट आओ... महजबीं"
"पता है आपके उन तीन लफ्जों ने वह ज़ख्म दिए हैं, जो लाइलाज है। पर उन्होंने मेरी मंजिल भी दिखा दी मुझे। आज जब भी किसी को डिस्चार्ज लिखती हूं तो होठों पे हंसी आ ही जाती है।"
अब वे तीन लफ्ज़ दानिश के कानों में बैचैनी घोल रहे थे।
"तलाक़, तलाक़, तलाक़....."
Shrishti pandey
27-Feb-2022 05:51 PM
Nice
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Ajay
28-Feb-2022 12:10 AM
Thanks 🙏🏻
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Aliya khan
27-Feb-2022 10:19 AM
Chuti si kahani apki bhaut achi h
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Ajay
27-Feb-2022 10:21 AM
धन्यवाद बहन।
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Abhinav ji
27-Feb-2022 09:26 AM
Nice
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Ajay
27-Feb-2022 10:14 AM
धन्यवाद अभिनव जी
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